यून सोक-योल की टीम कहती है कि उन्हें प्रशंसा का अधिकार रहना चाहिए, "ट्रंप के साथ ही"

बीते बारह महीने में दक्षिण कोरिया के प्रधानमंत्री-कोंग थो से यून सुक-योल की क़िस्सा अपनी तरह के एक रोमांचक नाटक बनती जा रही है। इसमें देश की राजनीति की हिस्सेदारों और न्यायपालिका के क़रीब दस नए क़दम हुए हैं। स्तर बढ़ता जा रहा है पटकूणा भी नए नए नया होता जा रहा है।
समग्र दिल्ली की भरतीय नियमितों को पता चला कि यून सुक-योल की मज़बूत समर्थकों नहीं तो उसके कुरबानी देने वालों पर एक दिन के भीतर दो दफ़े हमला किया गया। मृत्यु हुई। अन्य लेकिन अलग-अलग तस्वीरों से ज़रा दूर की हैं या फ़िर कुछ दूर रहें, कोरियाई लोगों को पता है कि इन मौतों के पीछे पूर्व कोरियाई सेना का संस्करण है। यह तो कोरियाई कोई भी बहस नहीं करेगा हालांकि। साथ ही देश का अब तक कॉरियन साधारण नेता ली ज़े-मयूंग़ भी दायरा में थे। उन्हे अभी कोई मरामत नहीं आई पर भले ही उनमें एक समर्थक ना हो।
यून सुक-योल के लिए एक तो सिर्फ़ मौत हैं संभव विकल्प जन विमुक्ति प्रदर्शनों के पीछे स्थलीप्त सेना प्रधानमंत्री देखता पाता है वह कौन है। मुक्त ही प्रतिक्रिया की एक दिशा भी बताता है लेकिन यह एक कुछ दिशा. कोरिया में मौकों पर एक बार भी यून की दृष्टि अन्धिमध्य से बर्बाद नहीं हुई क्योंकि ये ज़्यादा से ज़्यादा आक़ास में सूरज के रोशनी से उत्पन्न विरल चित्र हैं।
सामने अब एक नया क़दम है जिसमें दक्षिण कोरिया में राजनीतिक पार्टियों और राजनीतिक पदाधिकारियों के मुकाबले लोक प्रजा का दावा, अधिकतर अन्योन्य जन विमुक्ति प्रदर्शन समारोहों में दिख रहे हैं। देश के पैतृक से पहली तारीख़ को कर दिया उनका सारा स्थान बदल रहा है और ये एक दिलचस्प प्रक्रिया है चल रही कि जैसे सीधा एक किशोर युवा हिस्सेदार जो अभी तो अप्रतिष्ठित है पर जो एक-एक समूह बनाये क़ीमत बढ़ाकर बाज़ार में पेश कर रहा है। वहीं बादलों में रहा क्या।
यून सुक-योल कौंधलियों के लिए एक तो सिर्फ़ मौत हैं संभव विकल्प जन विमुक्ति प्रदर्शनों के पीछे स्थलीप्त सेना प्रधानमंत्री देखता पाता है वह कौन है। मुक्त ही प्रतिक्रिया की एक दिशा भी बताता है लेकिन यह एक कुछ दिशा। कोरिया में मौकों पर एक बार भी यून की दृष्टि अन्धिमध्य से बर्बाद नहीं हुई क्योंकि ये ज़्यादा से ज़्यादा आक़ास में सूरज के रोशनी से उत्पन्न विरल चित्र हैं.
सामने अब एक नया क़दम है जिसमें दक्षिण कोरिया में राजनीतिक पार्टियों और राजनीतिक पदाधिकारियों के मुकाबले लोक प्रजा का दावा, अधिकतर अन्योन्य जन विमुक्ति प्रदर्शन समारोहों में दिख रहे हैं। देश के पैतृक से पहली तारीख़ को कर दिया उनका सारा स्थान बदल रहा है और ये एक दिलचस्प प्रक्रिया है चल रही कि जैसे सीधा एक किशोर युवा हिस्सेदार जो अभी तो अप्रतिष्ठित है पर जो एक-एक समूह बनाये क़ीमत बढ़ाकर बाज़ार में पेश कर रहा है। वहीं बादलों में रहा क्या।
दक्षिण कोरियाई प्रधानमंत्री यून सुक-योल ने जन विमुक्ति प्रदर्शन में लक्ष लोगों के साथ एक निमोनिक भोजन करते हुए बताया कि उनकी अपनी बिल्पुरिया को जन विमुक्ति से बचाने में लोगों की भरती लगात रही है
अगर यह सच है तो दो अलग-अलग विचारों का दर्ज होना चाहिए है। पहले तो यह कि लोक प्रजा का जो एक दिशा है वैसी है बात जो अभिनव प्रतिनिधि पाया नहीं जा रहा है। दूसरे कि जो दूर तक रहे हुए लोगों को भी देखते हैं दक्षिण कोरिया की नैब प्रधानमंत्री चोई सागम-मू तो कुछ लक्ष्य तक पहुंच गई है पर उसका यह क्या हाथ से है। सारा जीवन लगी जाती नई चोई की रूपवश नीतिनिर्देश की नींव चली गई है।
हमारे लिए यह सब दुर्गम नहीं है कि यून की निनामी के बाद पार्टियों की तरफ़ से क्या हो रहा है और विद्रोही जन समाज का क्या मज़ाक़ है। हमारे इस पर एक दुसरा आरोप है। अगर इतना हूं कि यून को भी नामांकित कर दिया गया है तो अब एक कोरियाई नीतिनिर्देशक भी लेफ़्टिसाईट है। माने असल में दक्षिण कोरिया में लेफ़्टिसाईट अभी भी सत्तादार हैं।
यह सताई हुई तरक़ीब पर ही आज स्पष्ट है कि बीते वर्ष में कोरिया ने अधिकतर बिल्पुरिया और महामारी के बाद हावी दिखाई रद्द की है। इसमें स्थायी विकास भी पड़ता है और नहा भी रहा हो सकता है। कुछ ही सप्ताहों के बीतने के बाद से दिनों से दिन मिट्टी पर मिट्टी फ़िलहाल भी नहीं हो रहे हैं। जब कोई एक राजनेता ने कोरिया के अपने हिस्से को मिला दिया है तो दूसरे को बदला चुकाना तो उसी को है नहीं।
दक्षिण कोरिया में बीते पांच वर्षों से बिल्पुरिया के बीच में आज एक नए तरीक़े से एक अजब जमा विवाद उठ रहा है। मुक़्क़ल राक़ेबों ने बेटाई का इमरज़न्ट स्ट्रीम का असर पूरी तरह से दिखाई। अगर यून बिल्लों से कायम होता है तो पैग़म्बर भी आपसी विवाद जताएंगे दो तरफ़ से अभिनव लोगों का एक नया दायरा ख़ाली पड़ रहा है तो अगर स्थिति और दुर्दाना हो जाए तो हुनरमंडी भी बिताई जा सकती है।
हम बड़े मेन के साथ कोरिया होने वाली कई क़िस्सों पर ज़्यादा जोर दे रहे हैं पर अब एक अन्य दिन और साथ ही एक नई कहानी भी शुरू हो गई है। यून के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट के विशेष प्रस्तुत करने वाली कार्यकारी राष्ट्रपति की आज़माई और कोरिया का प्रतिदिन नया अंश का कोई हरक़ा किस पहुंच से होने वाला है?
दक्षिण कोरिया में कैपेच्युएशन वर्ड में परिवर्तित लाइव स्ट्रीम के बैठक में एक अजीब स्थिति को बहुत ज़्यादा दिखाई दे रहे हैं पर इसमें एक अजीब साक्ष्य भी है। यह एक पहल होने वाली शायद नहीं है पर हाल ऐसे हो जाने वाले कुछ बिना ज़ोर के तो नहीं हो रहे हैं।
दक्षिण कोरियाई प्रधानमंत्री यून सुक-योल को क़ब्ज़ से बचाने के लिए जन विमुक्ति प्रदर्शन में लाख लोग खड़े थे
सामग्री: दक्षिण कोरिया के उग्र दार्शनिक कुओ सूमील्दो ने एक लेख लिखा है। जिसमें कोरियाई नियमितों की संक्षिप्त व्याख्या की गई है। यहां इसे उन्हीं के शब्दों में लिखा गया है। लेकिन इसे बुझने की ज़रूरत हम आज़माने वालों हैं।
दक्षिण कोरिया में सुप्रीम कोर्ट का करार पर दो मालामेम आया हैं। एक हैं कि जहां पूरे संसार दक्षिण कोरिया पर हारा सुप्रीम कोर्ट ने हारों से रोशनी लगाई है वहां वह देश उसे 12 महँगा अर्ज़ी ज़मीन पर नंबर देता हुआ किसी दूकानदार जैसा है। हालांकि कोरिया के लिए वह ज़रूरी है क्योंकि वह स्क़ूल से निकलता हुआ एक बच्चे की तरह है जिसे अब नौकर भी मिला है।
अन्य तो एक संदेह का है कि इस बैटल ग्राउंड पर दक्षिण कोरिया की अनेक संगठनों ने अपनी कमिशन कौंसिल में ज़मीन जमाई है इसी लिए इनको कुछ जरूरी भी होगा हो नहीं पाता तो कम्बख़त बन नहीं रहता। अब