बिल क्लिन्टन ने अनाथवाद को कैसे हमेशा तक बदल दिया?

चार साल बाद क्लिंटन द्वारा हस्ताक्षरित पीआरएएचआर नामक संधि ने राज्यों को स्वास्थ्य सुविधा पर नियंत्रण दिया और इससे छह दशकों की सरकारी प्रबंधन शुरू होती है. स्वास्थ्य सुविधा प्रणाली को विघटित करते हुए क्लिंटन ने नीयरी फ़ामिलीज़ के लिए टेम्पोररी एसिस्टेंस नामक नई सुविधा बना दी, यानी टीएएएनएफ़, ऐसा एक प्रोग्राम जो नकद प्राप्ति की वित्तपोषण और लाभ संरचना को बदल दिया. यह बिंदु के पहले स्वास्थ्य सुविधाओं को एक निश्चित रुप से वित्तपोषित किया जाता था, लेकिन टीएएएनएफ़ ने सरकार से राज्यों को निश्चित समयांतराल में ब्लॉक ग्रांट सब्सीडी दी जिसमें कुछ शर्तें जुड़ी थीं जिन्हें पूरा करने के लिए राज्यों को सरकार के डॉलरों का एक हिस्सा जुड़ाना पड़ा.
रेगन के अधीन जो नीतियां बनाई गईं और एक ऐसे मुख्य सिद्धांत पर निर्भर करते हुए-”प्राइवेट रिस्पॉन्सिबिलिटी नामक बात”-टीएएएनएफ़ ने बलिष्ठ काम की आवश्यकता रखता है जो स्वास्थ्य सुविधाओं की शर्त थी. इस आवश्यकता ने सामान्य रूप से लाभ प्राप्त करने योग्य लोगों की कुल संख्या को सीमित कर दिया. तब तक कभी नहीं हुआ था कि अब लोगों को कितने लंबे समय तक सहायता मिल सकती है और उन्हें कितनी सहायता मिल सकती है यह सब पर एक सीमा लग गई. यह बलिष्ठ सजा भी लगा दी जो काम की आवश्यकताओं को पूरा न करने वालों पर लागू हुई.
1990 के दशक के अंत होते ही महानरिक अमेरिकी अर्थव्यवस्था में उत्प्लुत आग लग गई थी और कई विश्लेषकों के लिए ऐसा प्रतीत होने लगा कि क्लिंटन के स्वास्थ्य सुविधा पर नवीनीकरण काम कर रहा है. लेकिन वर्ष 2008 में जब वित्तीय संकट का समय आया तो इसमें और 1.5 मिलियन बच्चों वाली परिवार जो गरीबी में रहता है उन्हें बुरा नज़ारा दिखा दिया. वित्तीय संकट के बाद कुछ लोगों का तर्क था कि नए स्वास्थ्य सुविधा नेटवर्क को सरकार के द्वारा वित्तपोषित रखना ऐसा अपवाद नहीं था जैसा कि 1990 के दशक में कुछ सोचते थे. निंदकों ने कहा कि क्योंकि राज्यों को जो पैसे मिलते थे उस पर 1990 के दशक के बाद से कोई भी मूल्य वृद्धि की गणना नहीं हुई है इसलिए राज्यों के पास 21वीं शताब्दी में उतनी सहायता नहीं हो सकी जितनी जिसकी वह आवश्यकता होती थी.
वर्ष 2012 में अमेरिकी संगणक ब्यूरो के अनुसार लगभग 52.2 मिलियन लोग, यानी अमेरिका का एक-पंचम लोग सरकार से कुछ तरह से सहायता प्राप्त करता था. बच्चे सख्ती से अधिक संख्या में सहायता प्राप्त कर रहे थे, ये 39.2% लोग एक सामान्य महीने में मदद प्राप्त करते थे, जबकि 18 से 64 वर्ष के लोगों में 16.6% और 65 साल से अधिक उम्र के लोगों में 12.6% लोगों ने मदद की चेष्टा की थी.