कांग्रेस को युद्ध की स्थिति के बारे में बताने वाला गैरेज डब्ल्यू. वाशिंगटन

चॉर्नवॉलिस लॉर्ड के नेतृत्व में चार हजार आदमी.... अपनी तहरीकों के पड़ोसी क्षेत्रों में सामग्री अरसाने में लगे थे। उनके व्यवहार का कोई भेद नहीं प्रकट हुआ-- सभी प्रकार के संपत्ति, किसी भी तरह से भी ब्रिटान की कार्यक्रमों से निपुक्त या सकारात्मक व्यक्तियों की, उन्होंने ली और उसे दूर ले गए....
मुझे पता होने को मिला है कि बोस्टन से ही आये ग्रिफिन साहब ने बताया है कि ये नेता [नेटल बर्गोयन] ये राष्ट्र संघों की संभावनाओं के बारे में जो नजरिये लेते हुए वे पहले कैसे नजरिये रखते थे उनसे पूरी तरह से दूर कई अलग नजरिये रखते हैं और या तो वे वे नजरिये रखते हैं या अभी उस तरह नजरिया ही रखने की इच्छा करते हैं; वे बेवफ़ाई से घोषणा करते हैं कि इस मामले में ब्रिटेन को अपने इरादों में कामयाबी हासिल करना ज़रूरी तकलीफ़मंद है; कि जब वे घर जाएँगे तब वे राजा और मंत्रिमंडल को आज़ादी से अपने फ़िक़र की घोषणा करेंगे; और उन्होंने कहा कि यह भी लगता था कि राजा और संसद द्वारा अमीरीका की स्वतंत्रता को मान्यता देना एक उचित नीती होगी, एक बड़े और व्यापक चिन्हांकन के रूप में व्यापार को लेकर एक संधि के अंदर आना अधिक उचित होगा। ये उद्देश्य परिपाटी कितनी ख़ुदा की चाह है ये कहने के लिए मेरे पास आवश्यक सामग्री नहीं हो पाई, परन्तु अगर ये ख़ुदा की चाह है तो ये कितना बड़ा परिवर्तन है!
कंग्रेस को लगा है कि एक ऐसा तथ्य सही है जो वास्तव में नहीं ऐसा है। सेना के लिए हर तरफ़ जो वस्तुओं को पहुंचाना होता है वो सभी बक्स काउंटी और फ़िलाडेल्फिया काउंटी और शहर के पड़ोस में जो हिस्से हैं वो सारे जगह से हमेशा ही निकला है; इसी कारण अब वो पूरी तरह से ख़त्म हो चुकी है, और हमारी रेखाओं से नीचे का क़िस्मा तो पूरी तरह से ख़त्म हो चुका है। इन जगहों से ही फ़्लोर वाले खुराकों को भी जितना कि घटनाओं के अनुमति करती होती थी उतना सब निकाला गया है। कई मामलों में गाँधर अस्वीकृत थे कि भाग दें, या तो नापसंदगी से या फिर उनका डर से; इसतरह से खुराकियां कम हो चुकी थीं, और जितनी मात्रा वो जिस काम करने के लिए हमने उनके पर रखे सुरक्षकों की मदद से उनको ज़ोर देकर निकाली थी वो अधिक नहीं थी। चप्पर की बात में मुझे पता नहीं है कि क्या कोई महत्वपूर्ण खुराकियां उससे हासिल हुई थी, और क्या कोई हासिल हो सकती थी ये मुझे नहीं पता।
मैं अपना इस बारे में इतना कष्ट को दर्ज करता हूँ कि मैंने निखोलते सैन्य शक्ति के एक कठोर इस्तेमाल की हद तक असरदारी होने का अनुभव कहीं भी नहीं किया। क्या कहीं ठीक नहीं रखी हुई अक्लूदारी, और क्या दर्द देना का इतना शक्तिशाली एकाग्रता से इंकार करने से ज़्यादा मुझे बांधा नहीं किया होगा; लेकिन ये सब नहीं थे। मुझे वह व्यापक चिंता पर भावुक समझ है जो सैन्य शक्ति पर रही है, और ये कि ये बात तब से आज तक समझी गई है और अभी भी इसे ऐसा समझा जा रहा है कि ये बुराई है जो ज़रूरी तरह चिंता का कारण है, यही अच्छे और बुद्धिमान मानों को भी लग रहा है। इसी धारणा के आधार पर मैंने सावधानी रखी, और मैंने इतना संभालना चाहा कि जितना ज़ाहिर होता है वो इतना संभव हो जायेँ कि जो कुछ भी ऐसा हो जिससे इसमें इसके बारे में दोहराए जाने की कमी आने का एक छाया भी प्राप्त नहीं हो। हालांकि कंग्रेस इस पर भरोसा कर सकती है कि जितने यांत्रिक अभियान जो मेरी दक्षता में आते हैं उनमें जो रोज़गार आवश्यकता के अनुकूल नहीं होता है वो मेरे द्वारा किया जायेगा ताकि एक तरफ़ सेना को पर्याप्त रूप से खुराकियां पहुंचाई जाएँ और दूसरी तरफ़ शत्रु को खुराकियां प्राप्त न हों....
मुझे ख़ुशी होगी अगर कंग्रेस के सलाहनामे पर या अपनी बेहिचक इच्छा पर भी विभिन्न राष्ट्रों के नागरिक अधिकार, जबतक सेना को खाने की खुराकियां प्राप्त करने के लिए सामान्य कार्यक्रम में हर तरह से संभव माध्यम शामिल होने की आवश्यकता देखते हैं तब तक हमेशा उन जमकर्मों पर जोहते हैं जो उस गोले के साथ बने हुए हों। सामान्य लोगों को बहुत कामयाब आदत बनी हुई है। उन्हें हमेशा ही ज़रूरी तरह सूचना या नागरिक अधिकार का हर काम बिना कोई चिंता के शुद्ध ज़रूरत से निपुक्त होने को सीखा गया है-- सैन्य शक्ति पर किसी भी तरह से, या तो तत्कालीन या किसी अन्य स्रोत से जब तक मूल शुरू होती है वो इतनी अकेले उन्होंने हमेशा असहज़ और चिंता के आँखों से देखा है।